वेदो चैटर्जी यह अनुभव करने की यात्रा पर हैं कि वर्तमान पल में मौजूद रहने का वास्तव में क्या अर्थ है। वे इस राह में आने वाली कठिनाइयों व सफलताओं के बारे में बताते हैं और इस दौरान उन्होंने जो भी सीखा है उसके लिए वे कहते हैं, “कार्य प्रगति पर है।”
व्यावसायिक रूप से शांत वातावरण में चिकित्सक ने एड से कमरे में कोई पाँच वस्तुएँ चुनने के लिए कहा। घबराहट के साथ पूरे कमरे में नज़र दौड़ाते हुए एड ने मेज़, एक पौधे, एक कॉफ़ी मशीन, कंप्यूटर और एक खिलौने को चुना। हालाँकि यह काम अजीब लग रहा था लेकिन उसने पहली बार कमरे को इतनी बारीकी से देखा था। उसे एहसास हो गया कि इस कार्य का उद्देश्य उसे वर्तमान पल में खींचना था, भले ही वह रूखे-सूखे व प्रक्रियात्मक ढंग से किया गया था।
ऊर्जा, भावनाओं, नियंत्रण और जीवन की यात्रा के सामान्य अर्थ के महत्व को समझने से मैं
जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकता हूँ और अन्य आयामों में उपयोगी मार्ग ढूँढ सकता हूँ।
दुनिया के किसी दूसरे कोने में माया से अपनी आँखें बंद करके किसी सुहावने पल को याद करने के लिए कहा गया। उसने वह दिन चुना जब एक बहुत बड़ी गड़बड़ होने के बावजूद उसकी माँ ने उसे गले लगाया था। समय के साथ वह याद उसके लिए और भी महत्वपूर्ण हो गई थी। माया ने जब भी उस दिन को याद किया, उसने खुद को सुरक्षित महसूस किया। पुरानी याद ताज़ा करने के इस कार्य को करने का मकसद यह था कि माया अतीत के उस प्रेम व आनंद को पुनः महसूस करे जिससे उसकी वर्तमान भावनात्मक अवस्था बदल जाए।
ये वृत्तांत हमारी भावनाओं, प्रेरणाओं व समय के बोध की पारस्परिक क्रिया में कुछ हद तक जटिलता को दर्शाते हैं।
और इससे एक प्रश्न उठता है - ‘मौजूद रहने’ का वास्तविक अर्थ क्या है? संभवतः इसका मूल तत्व इस बात में हो कि हमारा ध्यान कहाँ केंद्रित है। हमारा ध्यान वर्तमान में ही होता है, भले ही इसका संबंध अतीत के किसी अनुभव या भविष्य के बारे में किसी विचार से हो। किसी भी समय पर हमारे पास जो ऊर्जा होती है, उसी का इस्तेमाल करके हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। फिर, शायद ऊर्जा ही हमारे अनुभव का वह आधारभूत अपरिवर्तनीय पहलू है जो सचमुच वर्तमान पल में निहित है।
एक ऐसी आदर्श अवस्था की कल्पना करें जिसमें हम ऊर्जित हैं और उन मामलों पर ध्यान दे रहे हैं जो वर्तमान में हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं तथा हमारे भविष्य को अधिक वांछनीय बनाते हैं। हम सभी जानते हैं कि जीवन इससे कहीं अधिक जटिल है। हम में से कई लोग अतीत में अटका हुआ महसूस करते हैं क्योंकि वह हमें वर्तमान में भी प्रभावित करता है। जिस घटना को हम अतीत में नियंत्रित नहीं कर पाए, उस पर नियंत्रण प्राप्त करने की बार-बार कोशिश करने को ही आमतौर पर ‘अतीत में जीना’ कहते हैं। अतीत में नियंत्रण की कमी के अनुभव से विकसित होने वाली जटिल भावनाओं से आगे बढ़ना शायद बहुत मुश्किल होता है। और इससे अत्यधिक अविश्वास व भय विकसित हो सकता है कि कहीं भविष्य में हम पुनः आहत न हो जाएँ। हमें बचाने के लिए जटिल भावनाएँ अतीत में भी जा सकती हैं और भविष्य में भी ताकि इनका कोई हल निकल आए। हम जीवन इसी तरह जीते रहते हैं मानो जिसे हम नियंत्रित नहीं कर पाए, वही हमें नियंत्रित कर रहा हो।
‘नियंत्रण’ शब्द का नकारात्मक संकेतार्थ होने के बावजूद यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हमारे अपनी अभिलाषाओं की ओर मार्गदर्शित होने के लिए थोड़ा-बहुत नियंत्रण आवश्यक है। इससे हम खुद को अपने सपनों व लक्ष्यों के अनुरूप ढाल पाते हैं। जब हमारा नियंत्रण छूट जाता है तब हम जीवन को उस दिशा में ले जाने की योग्यता भी खो देते हैं जहाँ हम जाना चाहते हैं। इससे हमारे जीवन की गाड़ी पटरी से उतर जाती है जिसके कारण हमें भावनात्मक परेशानियाँ होने लगती हैं। इससे हमारे अंदर अतीत के लिए पश्चाताप और भविष्य के डर की भावनाएँ उभर आती हैं और चूँकि इससे हमारी ऊर्जा अनेक दिशाओं में जाने लगती है, हम आमतौर पर ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं।
सकारात्मक भावनाएँ मुझे अपनी ऊर्जा से जुड़ने में मदद करती हैं जिससे मैं खुद को अभिव्यक्त भी कर पाता हूँ और मुझे जीवन
का अर्थ भी समझ आता है। मैं धीरे-धीरे विभिन्न दिशाओं में बिना खिंचे, ज़्यादा से ज़्यादा वर्तमान में रहना सीख रहा हूँ।
जिस तरह मैं चाहता हूँ, उस तरह वर्तमान में मौजूद रहना जीवन में कई बार कठिन साबित हुआ है। मैं केवल अपने अनुभव के आधार पर उन चीज़ों का सुझाव दे सकता हूँ जो शायद लाभदायक हों। अपने विचार को एक ऐसी कालगत अवधारणा तक सीमित रखना जिसे मन पर थोपा गया हो, व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकता है। मन के कार्यों के प्रति तीव्र आसक्ति मुझे मानसिक गतिविधियों के दुष्चक्र में फँसाकर रखती है।
ऊर्जा, भावनाओं, नियंत्रण और जीवन की यात्रा के सामान्य अर्थ के महत्व को समझने से मैं जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकता हूँ और अन्य आयामों में उपयोगी मार्ग ढूँढ सकता हूँ। महत्वपूर्ण बातों और अपने प्रियजनों पर अपनी ऊर्जा लगाकर मुझे सकारात्मक भावनाओं का अनुभव हो सकता है।
सकारात्मक भावनाएँ मुझे अपनी ऊर्जा से जुड़ने में मदद करती हैं जिससे मैं खुद को अभिव्यक्त भी कर पाता हूँ और मुझे जीवन का अर्थ भी समझ आता है। मैं धीरे-धीरे विभिन्न दिशाओं में बिना खिंचे, ज़्यादा से ज़्यादा वर्तमान में रहना सीख रहा हूँ। यह प्रक्रिया इतनी ज़्यादा धीरे हो रही है जो कष्टप्रद लग सकती है।
हालाँकि मेरी जीवन यात्रा मुझे वर्तमान पल में ले आई है लेकिन उस पल में पूरी तरह से मौजूद रहना अपने आप में एक यात्रा है।
कलाकृति - लक्ष्मी गद्दाम
वेदो चैटर्जी
वेदो भारतीय मूल के व्यक्ति हैं और अभी यू.के. में रहते हैं। पेशे से वे एक इंजीनियर हैं और उन्हें बाहर घूमना-फिरना अच्छा लगता है। वे प्राकृतिक सुंदरता तथा हार्टफुलनेस ध्यान एवं रेस्टो... और पढ़ें